आज लोकसभा में राहुल गाँधी ने कृषि अध्यादेश के विरूद्ध जमकर सरकार पर निशाना साधा। राहुल ने संसद में सदन को कृषि कानून पर चेताते हुए कहा की इन काले कानूनों से देश में भुखमरी और बेरोजारी बढे़गी।
उन्होनें कहा की कृषि कानून अडा़नी, अंबानी को फायदा पंहुचाने के लिए लाया गया है। राहुल ने प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर गहरा कटाक्ष करते हुए कहा की यह देश सिर्फ चार लोग चला रहे हैं।
उन्होने कहा की जैसे कोरोना अपना रूप बदलता है उसी तरह पुराना स्लोगन हम दो, हमारे दो रूप बदल कर एक बार फिर से सामने आया है। पहले हम दो हमारे दो का स्लोगन परिवार नियोजन के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए बोला जाता था और आज, हम दो, (मोदी-शाह) हमारे दो (अंडानी-अंबानी ) के लिए कहा जाता है। राहुल गाधी के सम्बोधन के दौरान सत्ता पक्ष में जबरदस्त बौखलाहट देखने को मिली। इस दरमियान जमकर हो-हल्ला किया गया । सत्तापक्ष लगातार सम्बोधन में व्यवधान डालने का प्रयास करता रहा। सत्तापक्ष ने स्पीकर से मांग की, वो राहुल गांधी को कृषि कानूनों पर बोलने से रोके, क्योकि बहस बजट पर हो रही है, इसलिए वो सिर्फ बजट पर बात करें। क्योकिं कृषि कानूनों पर बहस हो चुकी है। पर राहुल गाँधी तो आज किसी और ही धुन में नज़र आ रहे थे। टोका-टोकी के बीच उन्होनें अपनी बात को कहना जारी रखा। राहुल गाँधी ने कहा की सरकार यह ना समझे की यह आंदोलन सिर्फ किसानों का आंदोलन है। किसान तो सिर्फ अंधेरें में टार्च जलाकर देश को राह दिखा रहा है। राहुल गाँधी ने दावा करते हुए कहा की किसानों के पक्ष में जल्द ही पुरा देश खडे़ होने जा रहा है।
सदन में उस समय अंसमजस की सिथति उत्पन्न हो गयीं, जब राहुल ने बजट पर बोलने से इंकार करते हुए अपनी बात खत्म कर दी। उन्होनें यह कहते हुए दो मिंट का मौन रखा की किसान आंदोलन के दौरान 200 से ऊपर शहीद हो चुके किसानों को श्रद्धाजंलि अर्पित करना चाहता हूँ।
जैसे ही उन्होने अपनी सीट से खडे़ होकर शहीद किसानों को श्रद्धाजंलि देने के लिए मौन धारण किया तो उनके पीछे-पिछे विपक्ष के सदस्य भी खडे़ हो गये और उन्होनें भी शहीद किसानों को श्रद्धाजंलि देने के लिए मौन धारण कर लिया। इस दरमियान सत्ता पक्ष के लोग अपनी सीटों पर बैठे रहे और टीका-टिप्पणी करने लगे। मौके की नजाकत को देखते हुए स्पीकर ओम बिरला ने सिथति को संभालने का प्रयास किया! राहुल गाँधी से मुखातिब होते हुए स्पीकर ने कहा की माननीय सदस्य अगर सदन में किसी को उत्तराखंड त्रास्दी में हताहत हुए लोगों को श्रद्धाजंलि देनी है तो इसकी जिम्मेदारी सदन ने उन्हें दे रखी है। कुल मिलाकर आज पहली बार राहुल गाँधी की रणनिति काम करती हुई दिखी, जो संदेश वो अपने सम्बोधन में देश को देना चाहते थे, वो देने में कामयाब रहे।सत्तापक्ष की बौखलाहट को देखते हुए यह कहना वाजिब होगा की राहुल गाँधी के इस दाव ने बाखूबी अपना काम कर दिया है ।
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